प्रिय जगदीश,
तुम्हारी दोनों कृतियों 'छ्न्दोद्यान्न ' एवं ' अधरों का संवाद ' का अवलोकन किया , बहुत ही रोचक लगीं . एक रचनाकार के रूप में तुम अपने आप को सुदृढ़ रूप में स्थापित करनें में सफल रहे इस बात की हार्दिक प्रशन्नता है और इस बात की कामना है कि तुम इस दिशा में उत्तरोत्तर प्रगति के और भी श्रेष्ठ एवं नवीन कीर्तिमान प्रतिस्थापित कर सको . मुझे सदैव एक जिग्ग्यासु के रूप में इसकी प्रतीक्छा रहेगी . स्नेह एवं अनेकानेक मंगल कामनाओं के साथ ,
यम ० आर ० अवस्थी
तुम्हारी दोनों कृतियों 'छ्न्दोद्यान्न ' एवं ' अधरों का संवाद ' का अवलोकन किया , बहुत ही रोचक लगीं . एक रचनाकार के रूप में तुम अपने आप को सुदृढ़ रूप में स्थापित करनें में सफल रहे इस बात की हार्दिक प्रशन्नता है और इस बात की कामना है कि तुम इस दिशा में उत्तरोत्तर प्रगति के और भी श्रेष्ठ एवं नवीन कीर्तिमान प्रतिस्थापित कर सको . मुझे सदैव एक जिग्ग्यासु के रूप में इसकी प्रतीक्छा रहेगी . स्नेह एवं अनेकानेक मंगल कामनाओं के साथ ,
यम ० आर ० अवस्थी