abhivyakti
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Saturday, February 18, 2012
रुख्ह जो पलटूं तो सारी बात ख़तम .....
रुख्ह जो पलटूं तो सारी बात ख़तम
आँखें उतना नहीं दुखेंगी तब
सवाल एह है कि उस चित्र से मुदुं कैसे
दिले दीवार में मढ़ा है जो
Friday, February 17, 2012
भला मैं बात अपनी क्या करूंगा ...
भला मैं बात अपनी क्या करूंगा
मुझे फुर्सत कहाँ है आंसुओं से
घनी बरसात में जो तर बतर हो
पूछना मेरी कहानी उस सुमन से
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